
नोबेल वक्तव्य : मेरे पिता का बक्सा
ओरहन पामुक की जुबानी/ जनमन इंडिया टीम द्वारा चयनित और अनूदित मेरे पिता का बक्सा : ओरहान पामुक स्वर्गवासी होने से दो साल पहले, मेरे पिता ने मुझे अपनी इबारतों, हस्तलेखों और नोटबुकों से भरा एक छोटा बक्सा दिया था। मजाकिया लहजे में उन्होंने मुझे बताया कि वे चाहते थे कि उनके न रहने यानी…