सुलझन से ज्यादा उलझन बढ़ा रहा है ईपीएफओ का मांगपत्र, उच्च पेंशन की मांग वाली 5 लाख अर्जियां खारिज

जनमन इंडिया ब्यूरो

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद करीब तीन साल बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( ईपीएफओ) ने पेंशनधारकों को उच्च पेंशन देने की प्रक्रिया शुरू तो कर दी है, लेकिन उसकी कार्यप्रणाली में इतने झोल और अगर-मगर हैं, कि पेंशन-धारक मुश्किल में पड़ गए हैं। आशंका तो यह भी है कि कहीं ईपीएफओ जानबूझकर पेंशनधारकों को हतोत्साहित करने के लिए तो नहीं ‘स्पष्टता का अभाव’ बनाए हुए है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 1922 में अपने एक आदेश में निजी और पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को उच्च पेंशन देने का आदेश पारित किया था। उसके लिए कम से कम दस साल की सेवा का अनिवार्य माना गया था। कर्मचारियों के लंबे संघर्ष और मशक्कत के बाद ईपीएफओ ने उच्च पेंशन देन की प्रक्रिया शुरू तो की है, लेकिन पेंशनधारकों को जो मांगपत्र भेजा जा रहा है, वह अस्पष्टता और तकनीकी कठिनाइयों से भरा हुआ है। सबसे अहम बात यह है कि पेंशनधारकों से मांगी गई राशि का ब्योरा तो साफ शब्दों में बयान किया गया है, लेकिन इसके बदले उन्हें कितनी पेंशन या बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी, यह नहीं लिखा गया है। एक चालाकी से भरा फार्मूला साथ में संलग्न कर दिया है, जिसके बारे में भी स्पष्टता नहीं है। कहा गया है कि यह फार्मूला ( कैलकुलेटर) भी अंतिम नहीं है। ईपीएफओ के इस रवैये से सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को दफ्तरों के चक्कर लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

मांग पत्र देखने से पता चलता है कि जो कर्मचारी अपनी जमा ईपीएफ राशि निकाल चुके हैं,उन्हें इस मांग पत्र( डिमांड लेटर ) में तय राशि तय तिथि तक या तीन महीने तक ब्याज समेत लौटानी होगी। ईपीएफओ के इस पत्र में यह तो लिखा हुआ है कि पेंशन आवेदकों को कितनी राशि लौटानी होगी। लेकिन पत्र इस बात पर चुप्पी साधे हुए है कि इस राशि को जमा करने के बाद उनकी बढ़ी हुई पेंशन की रकम कितनी होगी और यह कितने दिनों बाद मिलनी शुरू होगी ? बढ़ी हुई दर से अगर कोई बकाया राशि बनती है तो ईपीएफओ उसका भुगतान कब तक करेगा ? मांग पत्र की इस चुप्पी से आवेदक भ्रमित तो हैं ही, इसके साथ ही उनमें यह संदेह भी पसर रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि उनकी रकम सरकारी झोल में जाकर फंस जाए और वापस ही न मिले। क्योंकि ईपीएफओ ने आवेदकों के लिए रकम वापसी का कोई विकल्प अपने मांग पत्र में दिया ही नहीं है।

खामियों से भरा से  है मांगपत्र–कर्मचारी नेता पीयूष वाजपेयी

 ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एम्प्लॉयज फेडरेशन( एआईएनईएफ ) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एडवोकेट पीयूष कुमार वाजपेयी ने बताया कि मांग पत्र खामियों से भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि ईपीएफओ ने यह भी नहीं बताया है कि आवेदकों को यह पत्र डाक से जाएगा या ईमेल से ? पत्र उन्हें नियोक्ताओं के मार्फत मिलेंगे या सीधे ? या फिर पत्र भेजे नहीं जाएंगे,यह आवेदकों को ईपीएफओ की साइट से डाउनलोड करना पड़ेगा ?
व्यवहार में दरअसल हो यह रहा है, कि आवेदक अपने आवेदन की ताज़ा स्थिति रोज साइट पर देखते हैं, अगर उनका मांग पत्र वहां मिलता है तो वे उसे प्रिंट करके पढ़ रहे हैं और मन में उठे सवालों के जवाब न पाकर भ्रमित और निराश हो रहे हैं।कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( ईपीएफओ ) की लेटलतीफी और टालमटोलू नीति के कारण उच्च पेंशन के आवेदकों की समस्याएं पहले भी कम नहीं थीं। अब इस मांग पत्र ने उनकी कठिनाइयों को और बढ़ा दिया है। ईपीएफओ को उच्च पेंशन के लिए लगभग 17.49 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 14 फरवरी तक 2.24 लाख आवेदन नियोक्ताओं द्वारा ईपीएफओ को अग्रेषित नहीं किए गए थे, जबकि 3.92 लाख आवेदन पूर्ण जानकारी के लिए नियोक्ताओं को वापस भेजे गए थे। ईपीएफओ वर्तमान में 1.92 लाख आवेदनों की जांच कर रहा है और आवेदकों को उच्च वेतन के अनुसार अतिरिक्त राशि के भुगतान के लिए 2,19,155 मांग पत्र जारी किए गए हैं। इसके अलावा 74,811 पेंशनभोगियों ने ईपीएफओ द्वारा मांगी गई अतिरिक्त राशि जमा कर दी है और 41,285 सदस्य जो अभी भी सेवा में हैं, उन्होंने उच्च राशि जमा कर दी है। इसने 24,001 पेंशन भुगतान आदेश जारी किए हैं और 5.05 लाख आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। पेंशनभोगी अधिकार कार्यकर्ताओं और ट्रेड यूनियनें ईपीएफओ के रुख से चिंतित हैं।

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