महाकुंभ 2025, उजड़ा मेला : देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी

एसपी तिवारी
प्रयागराज। अपने 45 दिन के उत्सव व मनोरंजन के बाद अब महाकुंभ 2025 प्रयागराज से विदा हो चुका है।प्रयागराज के मोहल्ले, गलियां, सड़कें,संगम सब सूने से लगने लगे हैं ।
महाकुंभ की खट्टी मीठी यादें प्रयागराज के निवासियों के दिलोदिमाग में वर्षों बनी रहेंगी।इतना बड़ा आयोजन न तो कभी हुआ और अब न कभी होगा।इसलिए भी नहीं होगा क्योंकि इतनी बड़ी जगह न तो किसी शहर में है और न ही किसी अन्य कुंम्भ स्थल पर।और न ही अब 144 साल वाला फण्डा काम करेगा।महाकुंभ की व्यवस्था में लगे पुलिस ,प्रशासन के सभी विभागों के अधिकारी,कर्मचारी, सफाई कर्मी सभी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने इतनी बड़ी व्यवस्था को 45 दिनों तक संभाले रखा।साधू, संत,अखाड़े,शंकराचार्य, स्वयंसेवी संस्थाएं,कल्पवासी सभी ने महाकुंभ की खूबसूरती को सजाने की भरसक कोशिश की।मनोरंजन, प्रवचन, पर्यटन, धर्म,मोक्ष,अर्थ ,दान,स्नान का अनूठा संगम प्रयागराज की धरती पर वर्षों याद किया जाता रहेगा।महाकुंभ 2025 वी आई पी व आम श्रद्धालुओं के बीच की दूरी के रूप में भी याद किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इसे एकता के महाकुंभ के रूप में देखा।यह बात अलग है कि 29 जनवरी कोअमावस्या के प्रमुख शाही स्नान के दिन भगदड़ से हुई श्रद्धालुओं की मौत व अन्य अव्यवस्थाओं पर कुछ विरोधी टिप्पणी पर अपने स्वभाव के अनुरूप कुछ गुस्से वाले अंदाज में मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी ने महाकुंभ में आये लोगों को गिद्ध, सुअर,सज्जन,संवेदनशील, आस्थावान, अमीर,गरीब,पर्यटक,सद्भावना युक्त,भक्त,श्रद्धालु आदि कैटेगरी में बांट दिया।उनकी इस टिप्पणी पर समर्थकों ने खुशी तो विपक्षियों ने अफसोस भी जाहिर किया।महाकुंभ में कुछ संतों के बोल भी चर्चा में रहे।
अविमुक्तेश्वरानंद ने श्रद्धालुओं की मौत से दुखी होकर मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी का इस्तीफा तक मांग डाला।युवा संत धीरेंद्र शास्त्री ने मृतकों को मोक्ष मिला या जो महाकुंभ नही आये वे देशद्रोही हैं का बयान भी चर्चा में रहा।हालांकि संत समागम कोई ठोस नतीजे नहीं निकाल पाया।हिन्दू राष्ट्र,सनातन बोर्ड गठित करने की मांग भी नहीं उठ पायी।सार्थक संत चर्चा, शास्त्रार्थ आदि का अभाव रहा।कुछ बड़े बड़े संतों के शिविर आकर्षण का केंद्र रहे।स्वामी कैलाशानंद,स्वामी चिदानंद,स्वामी अवधेशानंद ,किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के शिविर बड़े बड़े उद्योग पतियों, फिल्मी कलाकारों,धनाढ्यों से गुंजायमान रहा।महाकुंभ अपनी शानदार बनावट व सजावट के लिए भी जाना जाएगा।
महाकुंभ में यह रहस्य भी रहेगा कि गंगा पर बने 31 पांटून पुलों में से अधिकांश बंद क्यों रहे जबकि इन्हें आवागमन की सुविधा के लिए ही बनाया गया था।यह सही है कि मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी ने महाकुंभ की सफलता के लिए जी जान से मेहनत की,आये दिन समीक्षा करते रहे पर कुदरत भी तो कुछ अपना असर दिखाती है।सरकार ने साढ़े 7 हजार करोड़ खर्च किये तो साढ़े तीन लाख करोड़ की कमाई भी की।इस लिहाज से भी महाकुंभ सफल रहा।प्रयागराज वासियों ने भी अपनी हैसियत व श्रद्धा के अनुसार तीर्थयात्रियों की सेवा की।यद्यपि टेम्पो,टैक्सी,रिक्शा, बाइक,होटल,लाज,दुकानदारों, नाविकों ने उन्हें जमकर लूटा भी।जो महाकुंभ आये और घर नहीं लौट पाए उनके लिए एक विनम्र श्रद्धांजलि भी।सरकार और प्रशासन की सराहना भी।पत्रकारों की कलम को सलाम भी।संगम के चरणों में सादर नमन भी।ये कुंम्भ बार बार आये पर इतना न सताए,प्रयागराज वासियों को भी संगम नहलवाये न कि सिर्फ वी आई पियों को ही।
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