बहुचर्चित रिश्वतकांड : केंद्र सरकार ने माना कि अमेरिका से भेजा गया समन तामील कराने के लिए अहमदाबाद भेजा गया था

जनमन इंडिया दिल्ली ब्यूरो

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने माना है कि बीती फरवरी में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से उद्योगपति गौतम अडानी को अहमदाबाद स्थित उनके आवास के पते पर तामील करने के लिए यू.एस. सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन से जारी एक समन अहमदाबाद के एक सत्र न्यायालय को भेजा गया था। यह खबर अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ में बीते 12 मार्च को छापी गई है। बताते चलें कि गौतम अडानी समेत कई लोगों पर अमेरिकी अदालत में ‘लाभ पाने के मकसद से भारतीय अधिकारियों को घूस देने’  संबंधी मुकदमा दायर हुआ है। यह मामला पिछले दिनों मीडिया में छाया रहा। यहां तक कि पिछले दिनों जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे, तो वहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ एक संयुक्त वार्ता में एक पत्रकार के सवाल का सामना भी इस मामले में करना पड़ा। पत्रकार ने मोदी से पूछा कि क्या उन्होंने अडानी के मामले को लेकर ट्रंप से कोई बात की है। इस पर मोदी ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया था, बल्कि यह कहा था कि भारत वसधैव कुटंबकम में विश्वास रखता है।

अखबार के मुताबिक केंद्र सरकार ने अपने एक आंतरिक नोट में कहा है कि सिविल और वाणिज्यिक मामलों में न्यायिक और न्यायेतर दस्तावेजों की सेवा के लिए हेग कन्वेंशन, 1965 के तहत केंद्रीय प्राधिकरण यूएसए से प्राप्त समन की सेवा के लिए अनुरोध पर विचार किया गया। दस्तावेजों की जांच की गई है और पाया गया है कि वे हेग कन्वेंशन के अनुरूप हैं। अगर स्वीकृति मिलती है, तो वह इसे प्रतिवादी को तामील करने के लिए जिला और सत्र न्यायालय अहमदाबाद, गुजरात को भेज सकते हैं। ऐसा, सत्र न्यायालय को 25 फरवरी को भेजे गए पत्र लिखा गया है। ‘हेग कन्वेंशन’ हस्ताक्षरकर्ता देशों को विदेश में दायर मामलों के लिए कानूनी कागजात प्रस्तुत करने में सहायता के लिए किसी अन्य देश में किसी एजेंसी से सीधे अनुरोध करने की अनुमति देता है।

न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले में संघीय अभियोजकों के साथ मिलकर  अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर एक मुकदमा दायर किया है। मुकदमे के विवरण के अनुसार अडानी ग्रीन लिमिटेड के कार्यकारी के रूप में अमेरिकी निवेशकों से “बाजार से अधिक दरों पर ऊर्जा खरीदने की अपनी प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत के रूप में सैकड़ों मिलियन डॉलर के बराबर राशि दिए। यह राशि, अडानी ग्रीन और सौर ऊर्जा संयंत्र संचालक एज़्योर पावर को लाभ पाने के मकसद से दिए जाने का आरोप है। यह मामला अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय में चल रहा है।

हालांकि, इस मुकदमे के कारण अडानी समूह के लिए काफी अनिश्चितता पैदा हो गई है,  लेकिन फर्म कथित तौर पर इस उम्मीद पर काम कर रही है कि नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका में नया प्रशासन ( जिसने विदेशी भ्रष्टाचार व्यवहार अधिनियम, 1977 के सभी प्रवर्तनों को रोक दिया है)  अडानी के खिलाफ कानूनी मामलों धीमा करने में मदद करेगा। ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ अनुसार  अडानी समूह ने अमेरिका में व्यावसायिक अवसरों की तलाश फिर से शुरू कर दी है।

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