बकौल ग्रोक-3 : केंद्र की राजग सरकार के दस अधूरे वादे

- 2 करोड़ नौकरियाँ प्रतिवर्ष: 2014 के घोषणापत्र में हर साल 2 करोड़ नौकरियाँ देने का वादा किया गया था। हालांकि, बेरोज़गारी दर में कमी के दावे किए गए हैं, लेकिन स्वतंत्र रिपोर्ट्स (जैसे सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी) बताती हैं कि यह लक्ष्य हासिल नहीं हुआ।
- काला धन वापसी: प्रत्येक नागरिक के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने का वादा चर्चा में रहा। काले धन को वापस लाने के प्रयास हुए, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हुआ।
- किसानों की आय दोगुनी करना: 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। कुछ सरकारी योजनाएँ शुरू हुईं, लेकिन राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आँकड़े और किसान संगठनों के विरोध बताते हैं कि यह लक्ष्य व्यापक रूप से हासिल नहीं हुआ।
- स्मार्ट सिटी परियोजना: 100 स्मार्ट शहर बनाने का वादा किया गया था। कुछ शहरों में काम शुरू हुआ, लेकिन अधिकांश परियोजनाएँ अभी अधूरी हैं या अपेक्षित प्रगति नहीं दिखा पाई हैं।
- लोकपाल की नियुक्ति: भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की स्थापना का वादा था। लोकपाल की नियुक्ति 2019 में हुई, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन पर सवाल उठते हैं।
- जीएसटी को सरल बनाना: एक कर, एक राष्ट्र का नारा दिया गया, लेकिन जीएसटी को पूरी तरह सरल और प्रभावी बनाने में चुनौतियाँ बनी हुई हैं, खासकर छोटे व्यवसायियों के लिए।
- गंगा सफाई: नमामि गंगे परियोजना शुरू हुई, लेकिन गंगा नदी की सफाई पूरी तरह सफल नहीं हुई है, जैसा कि पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों की शिकायतों से पता चलता है।
- महिलाओं के लिए 33% आरक्षण: संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का वादा था, जो अभी तक लागू नहीं हुआ है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार: सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का वादा था। कुछ प्रगति हुई, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है।
- राम मंदिर निर्माण: यह वादा 2019 में दोहराया गया था। मंदिर निर्माण शुरू हो चुका है, लेकिन यह 2014 के कार्यकाल में अधूरा रहा था और अभी भी पूर्ण रूप से तैयार नहीं हुआ है।
क्या