प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री : आठ साल से लटका है मामला, दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित, सीईसी ने दिया था डिग्री दिखाने का आदेश

जनमन इंडिया ब्यूरो

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक की डिग्री के बारे में सूचना जारी करने के केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती देने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कहा कि तर्क सुने गए गए हैं। फैसला सुरक्षित कर लिया गया है। दिल्ली विश्विवद्याल की तरफ से अदालत में पेश हुए महान्यायवादी (सॉलिसिटर जनरल) तुषार मेहता ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग का आदेश निरस्त किया जाना चाहिए। हालांकि मेहता ने कहा अदालत को बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय को अदालत को रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है।

उन्होंने कहा कि 1978 की एक डिग्री है, कला स्नातक। नीरज नामक व्यक्ति द्वारा आरटीआई आवेदन के बाद, केंद्रीय सूचना आयोग ने 21 दिसंबर, 2016 को 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच करने की अनुमति दी थी, जिस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे उत्तीर्ण किया था। हाईकोर्ट ने 23 जनवरी, 2017 को केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश पर रोक लगा दी थी।दिल्ली विश्वविद्याल की ओर से कहा गया कि उसने सूचना को एक प्रत्ययी क्षमता में रखा है और सार्वजनिक हित की अनुपस्थिति में “केवल जिज्ञासा” किसी को भी आरटीआई कानून के तहत निजी जानकारी मांगने का अधिकार नहीं देती है। विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि आरटीआई अधिनियम को “मजाक” बना दिया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री सहित 1978 में बीए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्रों के दस्तावेज मांगे गए हैं।‌

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