दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा का नफरती भाषण मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई पर स्थगन देने से किया इनकार

जनमन इंडिया ब्यूरो

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान कथित रूप से आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने परीक्षण अदालत को अपनी कार्यवाही जारी रखने की छूट दी। कोर्ट ने मिश्रा की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया, जिन्होंने मामले में दाखिल पुलिस के आरोप पत्र संज्ञान लेने और उन्हें बतौर आरोपी समन करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को यहां चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही रोकने की कोई जरूरत नहीं है। इस अदालत को ऐसा करने की जरूरत नहीं लग रही है। ट्रायल कोर्ट को मामले में कार्यवाही आगे बढ़ाने की पूरी छूट है। भाजपा नेता की ओर से पेश वकील ने इसके लिए बहुत जोर दिया और आरोप तय करने की स्थिति में नेता की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका जताई। अदालत ने पुलिस को चार हफ्तों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख तय कर दी।

मिश्रा ने 22 जून,  2024 को पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसके जरिए उन्हें जनवरी 2020 में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपने बयानों में ‘आपत्तिजनक’ शब्दों का इस्तेमाल करने और सोशल मीडिया पर ‘भड़काऊ’ पोस्ट करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी एक्ट) की धारा 125 के तहत समन किया गया था। इसके लिए तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। रिवीजन कोर्ट ने 7 मार्च को मजिस्ट्रेट अदालत के साथ पूरी सहमति जताई कि निर्वाचन अधिकारी द्वारा दायर की गई शिकायत जन प्रतिनिधित्व की धारा 125 (चुनाव के संबंध में वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत अपराध का संज्ञान लेने और कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त थी। भाजपा नेता की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए रिविजन कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए उम्मीदवारों को माहौल बिगाड़ने और दूषित करने से बचाने के लिए दंड के जरिए रोके।

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