दिल्ली ब्यूरो दिल्ली। अस्सी से अधिक दिनों तक अनशन पर रहने वाले किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की खबर गोदी मीडिया, मुख्य धारा की मीडिया तो नहीं ले रहा है, हद तो यह कि समांतर मीडिया, डिजिटल मीडिया भी उनकी कोई खबर नहीं दे रहा है। दल्लेवाल के बारे में पुरानी खबर 22 जनवरी, 2025 को गिनेचुने अखबारों में तब आई थी, जब सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ओर यह एक दलील दर्ज की गई थी कि किसान नेता दल्लेवाल ने चिकित्सा सहायता स्वीकार कर ली है और केंद्र सरकार के एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के बाद खनौरी सीमा पर विरोध स्थल से 50 मीटर दूर एक अस्थायी अस्पताल में स्थानांतरित हो गए थे। उनके मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने घटनाक्रम को "सकारात्मक" करार देते हुए पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह की इस दलील को भी रिकॉर्ड किया था किसान केंद्र और अन्य प्राधिकारियों के साथ बातचीत के लिए मिलने के लिए सहमत हो गए हैं महाधिवक्ता सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि दल्लेवाल के साथ भूख हड़ताल पर बैठे 110 से अधिक अन्य किसान नेताओं ने भी अपना उपवास तोड़ दिया ै खंडपीठ ने दल्लेवाल को निर्धारित वार्ता से दो दिन पहले चंडीगढ़ पहुंचने और पीजीआई चंडीगढ़ में विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपने स्वास्थ्य के बारे में सलाह लेने की सलाह दी थी ताकि वह बैठक में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें। अदालत ने पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के खिलाफ अवमानना कार्रवाई को स्थगित रखने और वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत के बार-बार के आदेशों के बावजूद दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के लिए मनाने में असमर्थता के बाद अवमानना कार्रवाई शुरू की गई थी। अदालत ने मामले को फरवरी के अंत में सुनवाई के लिए फिर से सूचीबद्ध किया था।
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