गाजियाबाद डायरी : बिजली की आंखमिचौनी, महंगे इलेक्ट्रिक उपकरणों पर पड़ रही भारी

- रोजाना दिन में पंद्रह – बीस दफा बिजली का कट
- कई इलाकों में सुबह पानी भरना तक मुहाल हुआ
- वाई-फाई कनेक्टिविटी बार बार बाधित होने से कंप्यूटर चलाने में भारी दिक्कत
- लोग बिजली के बड़े उपकरणों के लिए महंगे स्टैबलाइजर खरीदने को मजबूर
गाजियाबाद में आए दिन होने वाले बिजली कटौती और ट्रिपिंग की समस्या से लोग परेशान हैं। खासकर, पॉश इलाके वसुंधरा के सैक्टर नौ में तो हालत कुछ ज्यादा ही खराब है। यहां लोगों के मुताबिक, रोजाना कम से कम पंद्रह से बीस दफा तो बिजली की आंखमिचौनी आम बात है। हालांकि आवासीय सोसाइटियों में तो जेनरेटर लगे हैं लेकिन बिजली की आंखमिचौनी बिजली के बड़े उपकरणों पर भारी पड़ रही है। न सिर्फ लोगों को टीवी, वाशिंग मशीन, कंप्यूटर, फ्रिज आदि सभी उपकरणों के लिए महंगे स्टैबलाइजर खरीद कर लगाने पड़ रहे हैं, बल्कि साल दो साल ही एमसीबी बाक्स भी बदलवाने को वे मजबूर हैं।
यहां लोगों के मुताबिक बिजली इतनी बार आती जाती है कि वाई फाई कनेक्शन तो बेमानी होकर रह गए हैं। कंप्यूटर पर काम करना ही मुहाल है।
लोगों का कहना है कि रोजाना सुबह में बिजली कटौती के कारण लोग पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि बिजली कटौती की वजह से न जलापूर्ति हो पाती है और न ही कुछ देर की पानी आपूर्ति के समय उसे स्टोर कर पाते हैं। इसकी वजह से दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी सर्दियां भर लोग इस परेशानी से हलकान रहे हैं और उनका कहना है कि जब सर्दियों में यह हाल है तो गर्मियों में क्या होगा। लोग शिकायत करने के लिए अधिकारियों से संपर्क करते हैं, लेकिन फोन नहीं उठाते।…
अधिकारी यह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि खपत कम होने के बाद भी रोजाना औसतन तीन से चार घंटे की कटौैती अलग-अलग क्षेत्रों में हो रही है।
बताया जा रहा है कि फाॅल्ट और तार टूटने के कारण बिजली की आपूर्ति में रुकावट आ रही है। इसके अलावा कुछ ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ने से भी ट्रिपिंग की समस्या आ रही है। अधिकारियों के मुताबिक एक साल से बिजलीघर और ट्रांसफार्मरों का लोड बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।
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