प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई पूरी नहीं करने और आधी-अधूरी रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने पर नाराजगी जताई है। पीठ ने कहा कि आगामी 26 मार्च तक प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें। पीठ ने कहा कि सरकार ऐसी कार्रवाई करे, जिससे दूसरो चिकित्सकों को ऐसा सबक मिलना चाहिए, ताकि वे खुद निजी प्रैक्टिस से दूर हो जाएं।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के किडनी रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद गुप्ता की ओर से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। राज्य उपभोक्ता
आयोग ने निजी नर्सिंग होम में सेवा देने पर डॉ गुप्ता के खिलाफ 10 लाख का हर्जाना देने का आदेश दिया था, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस याचिका पर सुनवाई करके हुए प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य से जबाव-तलब किया गया था।
आदेश के अनुपालन में हलफनामा दाखिल कर प्रमुख सचिव ने बताया कि बीते छह जनवरी को 37 जिले के जिलाधिकारियों ने निजी प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों को चिह्नित किया है। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा रही है। पीठ ने इस हलफनामे को आधा आधूरा बताया और पूरी रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया। आदेश में कहा गया कि इसमें न तो यह बताया गया है कि कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई या जो जिले छूट गए, उनका कोई जिक्र क्यों नहीं है।