अव्यवस्था है से आहत हुई आस्था
एसपी तिवारी / जनमन इंडिया


प्रयागरा। प्रयागराज की पावन भूमि पर स्थित गंगा ,यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम महाकुंभ 2025 आस्था और अव्यवस्था के संगम के नाम से भी जाना जाएगा।आस्था ऐसी की हर तकलीफ सहने को तैयार बस संगम में स्नान करने को मिल जाय।और अव्यवस्था ऐसी की किसी भी दशा में लोग संगम की तरफ न जा सकें।आवागमन के लिए गंगा पर बने 31 पांटून पुलों में अधिकांश को बंद रखना।
प्रयागराज जिला प्रशासन व नए बने जिले महाकुंभ नगर प्रशासन के अधिकारियों के बीच उचित तालमेल न होना।याता यात व्यवस्था का लचर होना,पूरे शहर के प्रमुख चौराहों,कॉलोनी वासियों के निकासी पॉइंट की बैरिकेटिंग करना,कुछ पुलिस कर्मियों का दुर्व्यवहार, आये दिन वी वी आई पी,वी आई,पी लोगों का आगमन,15 से 20 किलोमीटर तक कि दूरी पैदल चलने की विवशता जैसे अनेक परिस्थितियों के चलते कल्पवासियों, स्थानीय निवासियों, दूर दराज के क्षेत्रों से आने वाले तीर्थयात्रियों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ी।
अखाड़ों के बड़े बड़े संत,शंकराचार्य, महामंडलेश्वर,कथावाचक सब आपस में ही उलझे रहे।उनके विचार विमर्श से कोई अमृत नहीं निकला।आमंत्रित लोगों का तो बहुत ध्यान रखा गया,परंतु बिन आमंत्रण की आयी करोड़ों की जनता में अधिकांश को संगम स्नान का सुख नहीं मिला।हां इसी जनता ने 50 करोड़ का आंकड़ा देकर सरकार का सीना चौड़ा कर दिया।इसी ने सनातन की अलख भी जगाई।